फैसलाः डीपी यादव को हाईकोर्ट ने किया बरी

नैनीताल, 10 नवंबर।
13 सितंबर 1992 को दादरी में विधायक महेंद्र भाटी को मारने वाले पूर्व सांसद डीपी यादव को नैनीताल हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है।
इस हत्याकांड में डीपी यादव समेत चार लोगों को आरोपी बनाया गया था। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में चल रही थी और इस साल कोर्ट से डीपी यादव को बेल भी मिल चुकी थी। जिसका सीबीआई द्वारा भी विरोध किया था।


क्या है पूरा मामला
नैनीताल हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता डीपी यादव को हत्याकांड में बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट के 2015 के फैसले को पलटते हुए यादव को बरी किया है। सीबीआई कोर्ट ने छह साल पहले यादव को दादरी के विधायक रहे महेंद्र भाटी की हत्या के केस में दोषी करार देकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस मामले में नैनीताल स्थित हाईकोर्ट में लगातार सुनवाई चल रही थी। हाईकोर्ट के फैसले से यादव को बड़ी राहत मिल गई है। लेकिन सीबीआई कोर्ट द्वारा दोषी माने गए अन्य तीन करण यादव, पाल सिंह और परनीत भाटी के संबंध में फैसला आना बाकी है।
भाटी हत्या कांड के मुख्य आरोपी डीपी यादव को हाईकोर्ट ने आज बरी कर दिया। विदित हो कि स्व. महेंद्र भाटी के बेटे ने आजीवन कारावास की सजा को बढ़ाने की मांग की थी। इधर, सीबीआई ने भी डीपी यादव को 120 बी का मुजरिम बनाया था, जिसको हाई कोर्ट ने नहीं माना है।

क्या हुआ था 1992 में
13 सितंबर 1992 को गाजियाबाद के पूर्व विधायक महेंद्र भाटी की दादरी रेलवे क्रासिंग पर गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप डीपी यादव समेत परनीत भाटी, करण यादव, पाल सिंह पर था। पूरे मामले की सीबीआई ने जांच कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई थी। 15 फरवरी 2015 में देहरादून में सीबीआई कोर्ट ने सभी को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके बाद से सभी दोषी जेल में बंद है। सजा के बाद इन सभी ने सीबीआई कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा था।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में पूर्व सांसद डीपी यादव की अपील फैसला सुनाया। कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते हुए उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पाते हुए उन्हें रिहा कर दिया है। डीपी यादव अभी अतंरिम जमानत पर भी हैं। कोर्ट ने इस हत्याकांड के अन्य आरोपियों की अपीलों में निर्णय सुरक्षित रखा  है।

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