त्रिपुरा में भाजपा निकाय चुनाव में 334 में से 329 सीट जीत गई। इसके 2-3 एक्सक्यूज हैं। भाजपा ने रिगिंग की। वोटिंग मशीन ने भाजपा को जिता दिया। लोगों को दंगे पसन्द हैं और दंगे के बाद भाजपा जीत जाती है।
त्रिपुरा वही राज्य है जहां कामरेडों का शासन था और उस राज्य में कम से कम लोगों को साम्प्रदायिक नहीं होना चाहिए क्योंकि कामरेड लोग जाति धर्म के खिलाफ होते हैं और उनसे उम्मीद की जाती है कि अपने शासन में वह इसी तरह का समाज बनाएं जो वैज्ञानिक सोच का हो।
कहीं कुछ तो गड़बड़ है विपक्ष की रणनीति में। 1992 में बाबरी मस्जिद तोड़ी गई तो कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे। परोक्ष रूप से मस्जिद तोड़ने का खूब प्रचार किया गया और जगह जगह कल्याण सिंह की होर्डिंग लगी, “जो कहा, सो किया”।
उसके बाद चुनाव हुए तो भाजपा यूपी की सत्ता से बाहर हो गई। इस कदर बाहर हुई कि करीब 2017 तक बाहर रही।
अभी मुलायम सिंह जिंदा और स्वस्थ हैं। देश भर के नेताओं को जाकर उनके पैर पकड़ लेना चाहिए कि उन्होंने कैसे यह कर दिखाया और मस्जिद तोड़वाने, पूरे विश्व में साम्प्रदायिक दंगे करा देने वाले कल्याण को कैसे हरा दिया था?
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